बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
अथवा
भोजन के मुख्य कार्य क्या हैं? लिखिए।
उत्तर -
हमारे शरीर में भोजन निम्नलिखित कार्य करता है-
शारीरिक कार्य (Physiological Functions) - भोजन ग्रहण करने के बाद उसका पाचन, अवशोषण व स्वांगीकरण होता है, उसके पश्चात् भोजन का शारीरिक कार्य प्रारम्भ होता है। शारीरिक कार्यों में निर्माणात्मक, ऊर्जा उत्पादक व सुरक्षात्मक कार्य प्रमुख हैं।
1. निर्माणात्मक कार्य (Body Building Function) - भोजन में उपस्थित प्रोटीन, खनिज लवण तथा जल निर्माणात्मक पोषक के अन्तर्गत आते हैं। कोशिका के निर्माण में प्रोटीन की प्रमुख भूमिका रहती है। शरीर की वृद्धि एवं विकास की अवस्थाओं में इसी कारण से अधिक प्रोटीन लेने की आवश्यकता पड़ती है। रक्त, दाँत, बाल, अस्थियाँ, त्वचा सभी के निर्माण व विकास के लिए प्रोटीन आवश्यक होती है। प्रोटीन के पश्चात् दूसरा निर्माणात्मक तत्व खनिज लवण है। कैल्शियम फॉस्फोरस जहाँ अस्थियों व दाँतों के लिए आवश्यक खनिज लवण है वहीं लौह तत्व रक्त के लिए आवश्यक माना जाता है। तीसरा निर्माणात्मक तत्व जल है। शरीर की माँसपेशियों में लगभग 80% जल पाया जाता है। जल रक्त, हारमोन्स व पाचक रसों के निर्माण के लिए आवश्यक होता है। कोशिकाओं में उपस्थित जीवद्रव्य के निर्माण के लिए भी जल आवश्यक होता है। इस प्रकार से शरीर के निर्माण में ये तीनों ही पोषक तत्व महत्वपूर्ण हैं।
2. ऊर्जा प्रदान करना (Energy Giving Function) भोजन का दूसरा शारीरिक कार्य शरीर को विभिन्न क्रिया-कलापों के लिए उचित मात्रा में ऊर्जा प्रदान करना है। जो व्यक्ति जितना अधिक श्रम करता है उसकी ऊर्जा की आवश्यकता उतनी ही अधिक होती है। शारीरिक श्रम के अतिरिक्त शरीर में कुछ ऐसी क्रियाएँ भी होती हैं जिनका हमें ज्ञान नहीं होता उन्हें अनैच्छिक आन्तरिक क्रियाएँ कहते हैं, जैसे सांस लेना, हृदय की धड़कन, रक्त परिसंचरण, खाना पचाना तथा खाने का अवशोषण, शरीर से अनावश्यक पदार्थों को बाहर निकालना व शरीर के तापक्रम का नियंत्रण। इन सभी क्रियाओं में ऊर्जा खर्च होती है।
वृद्धि-काल में शिशुओं, बालकों और किशोरों को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस काल में ऊर्जा युक्त भोज्य पदार्थों की आहार में कमी से वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। शरीर की वृद्धि उचित रूप से नहीं हो पाती है।
3. सुरक्षात्मक कार्य (Protective Function) भोजन का एक प्रमुख कार्य शरीर को सुरक्षा प्रदान करना भी है। शरीर के कोमल अंगों की रक्षा करना, शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित रखना ये सभी सुरक्षात्मक कार्य भोजन के कुछ विशेष तत्वों द्वारा सम्पन्न किये जाते हैं। विटामिन 'A' आँखों व त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है जबकि विटामिन 'B' कॉमप्लेक्स पाचन तंत्र व नाड़ी तंत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक होता है। विटामिन 'C' संक्रामक रोगों से शरीर की सुरक्षा करता है जबकि विटामिन 'D' दाँतों व अस्थियों को सुरक्षा प्रदान करता है। खनिज लवणों में कैल्शियम व फॉस्फोरस हड्डियों तथा दाँतों की सुरक्षा के लिए, लौह तत्व रक्त निर्माण के लिए, आयोडीन शारीरक वृद्धि व चयापचय की दर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भोजन के मनोवैज्ञानिक कार्य (Psychological Functions of Food) एक ओर जहाँ भोजन का शारीरिक महत्व है, वहीं दूसरी ओर भोजन का मनोवैज्ञानिक महत्व भी है। इसका प्रभाव मनुष्य के मानसिक व संवेगात्मक स्वास्थ्य पर पड़ता है तथा इससे भोजन की ग्राह्यता भी प्रभावित होती है। अपने प्रान्त या देश से बाहर जाकर परिचित भोजन की प्राप्ति में व्यक्ति में सुरक्षा की भावना निहित देती है। अरुचिकर भोजन मिलने पर व्यक्ति अपने आपको उपेक्षित महसूस करने लगता है। इस प्रकार बहुत सी अनुभूतियों व संवेदनाओं की अभिव्यक्ति भोजन के द्वारा सम्भव है। कभी-कभी भोजन पोषण विज्ञान की दृष्टि से पूर्ण होने पर भी संतुष्टि नहीं दे पाता। प्रत्येक देश, जाति तथा स्थान पर भिन्न-भिन्न भोजन का प्रचलन अतः यात्रियों को यात्रा के समय भोजन सम्बन्धी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सुरुचिपूर्वक तैयार किया गया भोजन हमें आनन्द, संतोष, बल तथा मानसिक चिन्ताओं से मुक्त कराता है। अतः भोजन हमें मानसिक संतुष्टि देता है। इस प्रकार भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य करता है।
भोजन का सामाजिक कार्य (Social Function of Food) अप्रत्यक्ष रूप से भोजन सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने का साधन है। अतः भोजन का हमारे सामाजिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसके द्वारा व्यक्ति न केवल समाज में अपनी प्रतिष्ठा को बनाये रखता है वरन् साथ ही व्यक्ति अपनी प्रेम, मित्रता व सहयोग की भावना को भी प्रदर्शित करता है। सुख व दुख दोनों ही अवसरों पर भोजन के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। विभिन्न पर्वो, त्यौहारों, उत्सवों, समारोहों में नाना प्रकार के व्यंजन तैयार किये जाते हैं। हमारे देश में हर त्यौहार पर कुछ मुख्य व्यंजनों का महत्व है जोकि हमारी प्राचीन संस्कृति एवं परम्परा का प्रभाव हमारे जीवन पर डालता है। समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए विभिन्न पर्वो पर विविध प्रकार के व्यंजनों का प्रचलन है। चाहे जन्मदिन हो, किसी की सगाई हो या किसी की शादी, भोजन ऐसे समय पर उल्लास और खुशी बाँटने का साधन होता है। हम अपने घर पर आये अतिथियों का स्वागत नाना प्रकार के व्यंजन परोस कर उनका अतिथि सत्कार करते हैं। इसी प्रकार विभिन्न त्योहारों पर मिठाइयों का आदान-प्रदान करके भी हम खुशी बाँटते हैं।
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- प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
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- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
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- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
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- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
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- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
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- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
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- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
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- प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
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- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
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- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
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- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?